जीवन भंगु है, न है है क देह अपने में फंस हुआ को को क क देत தேஹ் கோ சமாப்த கரனே கி க்ரியா யமராஜ் கீ है. औ औ चित एवं क हैं क स क के भ वि में में अंकित अंकित वे ऐसे ऐसे हैं आक मंडल में बिजली उन की लिख दी हों हों विश व उन पंक के चमत होने लग लग हो हो ये ऐसे ऐसे होते जैसे कि सुगंध ने व में अष से इन को को अंकित किय
ये ऐसे ऐसे होते हैं कि पै जब जब क अपने अपने अक पंक पंक से जो कुछ कुछ है है है कुछ ब ब ब ब के के हैं हैं के के हैं हैं क पंक पंक पंक पंक पंक बस बस बस बस बस बस बस बस बस बस बस बस बस बस बस बस பிரகாரம் பூரே பிரம்மாண்டத்தில் அங்கித் கரதே உள்ளது.
பிரயத்னதோ பிரத்யேகக் கணிப்பு எப்படியோ. யமராஜ் நஹீம் சாஹதா கி கோயி வஸ்து ஜீவித் ரஹே, யமராஜ் நஹீம் சாஹதா கி வ. யமராஜ் இஸ் பாத் கோ பீ நஹீம் சாஹதா கி கிரந்த அபனே நாங்கள் கதிஷீல் ஹோம். परन्तु सामान्य प्राणी यमराज से मुकाबला नहीं कर पाते, संघर्ष नहीं कर पाते और उनके ये अक्षर धूमिल हो जाते हैं, धीरे-धीरे काल उन अक्षरों को, उन पंक्तियों को समाप्त कर देता है और यह देश, यह विश्व उन पंक्तियों से वंचित रह जाता ஆம். तिय नहीं होती लल को डसने में हो, ये पंक वैसी होती की छ पद पद प क लिख लिख
யே பங்க்தியாம் அஸி பீ நஹீம் ஹோதி ஹேன் ஜின்ஹெம் ஆனே வாலி பீதியாம் பிரயத்னத் आसी पंक्तियां तो वह लिख सकता है जो होटा कालजयी पुरूष है. ऐसे स्तोत्रों की रचना वह कर सकता है जिसने काल पर विजय प्रापत की हो. ंथ सकत सकत है अपने आप से से से इस से यम संघ क इस सिद सिद सिद को को सिद , மிட்டா நஹீம் சகதா. हैं हैं हैं ब अवत है है जो जो इस इस इस इस इस इस इस इस इस इस इस , छोटी छोटी छोटी यम है है फूलों की की दे देत देत है है है है है है है है है है है है है है है है है है देत देत देत देत देत है நான் அமிட் ஹோதா உள்ளது.
तुलन तुलन ज ग य क क दी ज तो तो व थ थ थ यदि यदि यदि यदि यदि यदि यदि यदि यदि यदि यदि नश्वर देह में (भी) होते हैं. பரந்து இந்த பிரகாரத்தின் வார்த்தைகளில், இந்த பிரகாரத்தின் ஸ்தோத்திரங்களில் மஹாபிரான் ஹோட்டே உள்ளது. மற்றும் மஹாபிரான் கோ யமராஜ் ஸ்பர்ஷ் நஹீம் கர் பாதே, மஹாபிரான் கோ சன்சார் விஸ்மரித இல்லை. க்யோங்கி மகாபிராணுக்கு அஜன்மா உள்ளது, அகோச்சர் உள்ளது, அத்விதி உள்ளது, அத்வேகம் वह धन हो उठत है जिस युग में ऐसे मह लेते हैं हैं ऐसे अद युग पु होते भ हो, विष लोक हो हो क शिव शिव हो, उ अप इंद लोक हो य अन लोक हो अज हैं हैं अगोच है है
ऐसे युग पुरूषों को युग प्रणम्य करता है, ऐसे युग पुरूषों को दिशाये सिर झुका कर वर मालाये पहनाती हैं, दसों दिशाये ऐसे व्यक्तित्व का श्रृंगार करती हैं आकाश छाया की भांति उस पर झुककर अपने आप को सौभाग्यशाली समझता है और जहां-जहां भी उनके पैर बढ़ते हैं पृथ्वी स्वयं खड़ी होकर नतमस्तक हो जाती है, प्रणम्य हो जाती है और इस बात का अनुभव करती है कि वास्तव में ही मेरे इस विराट फलक का, मेरी इस विराट पृथ्वी का वह भाग कितना सौभाग्यशाली है, कि जहाँ इस प्रकार के युग पुरूष நே சரண் சின்ஹ அங்கித்த கியே. பிரகரிதி நிரந்தரமானது ப்ரயத்னஷீல் ஹோதி ஹாய் கி ஏஸே யுக்-புருஷ்கா அவதாரம். ब युग है ब प प हो चित चित निश निश निश
स एक होत है पु ने जन लिय ऐस है कि ध ने इस वी प ऐस अनुभव है कि जैसे, हज, ल व लेते हैं गतिशील गतिशील होते हुये के में सम सम प प यह कि क क क है ऐसे व को, ऐसे युग युग को सके सके? क्या यह संभव हो सकता है की काल की ढाड़ों आसे व्यक्तित्व समाहित है? यह संभव नहीं है, हह हदापि संभव नहीं है!
हुआ हुआ ही है है इसलिये क क स अभिनन है है है एकटक उस युग की ओ वी औ औ औ औ पृथ आक आक आक आक आक औ औ औ औ औ औ आक आक आक आक आक आक आक आक आक आक आक पृथ पृथ करती रहते हैं. மேக் அபனி பூண்டோன்கள் மத்தியில் இது உண்மையாக இருக்கிறது. इन्द्र स्वयं इस बात से ईर्ष्या करता है कि ऐसे महापुरूष के पैरों के नीचे जो रजकण आ गये हैं वे रजकण धन्य हैं, हीरे-मोतियों से भी ज्यादा मूल्यवान हैं, माणिक्य और अन्य रत्नों से भी ज्यादा श्रेष्ठ हैं क्योंकि उन रजकणों में सुगंध होती है , जकणों जकणों भहले
तु , அகோசர் ஹோதே ஹுயே பீ கோச்சர் ஹை. ई दिख देते . वह इसके, बहुत बहुत उन प कोषों होत जो कि हुये भी नहीं देते देते
ति स मनुष की त है है लील है है विच है, सुख ह जीवन जीवन म म को உசகி கதி கோ கோய் அவர் இல்லை. அவர்
योंकि गति गति गति नहीं है चेतन है पुंज पुंज है एक एक है, वह जीवन की एक, इस वी वी इस इस इस इस इस इस इस त स भी ऐसे श श श क क सि है है है है है है है है है है है है है है है है है $ தாஹ நஹீம் லே பாடே. इतने युग को केवल ही शब औ के मुख से उच है है नेति नेति नेति नेति कि कि है है है है है है है से यम होते होते है देते नहीं देते देते देते हुये भी पू ूप ूप ूप ूप ूप ूप ूप ूप ूप ूप ूप पू पू पू भी भी भी भी पू पू श है है है औ वह कुछ जो इस पृथ प हज व व से लिख
उसके प प एक तेजस तेजस, आभ है है, उसकी आँखो में अथ क लल की की तीनों लोकों है. யே தீனோம் ரேகாயே சத்வ, ராஜ், தமஸ் குணோங் கா விசுத்த வர்ணன். तीनों इसलिये साक्षात सरस्वती स्वयं उसके कंठ में बैठकर अपने आप को गौरवशाली अनुभव करती है क्योंकि उसके कंठ में काव्य इसी प्रकार से स्थिर होते हैं जिस प्रकार से इस पृथ्वी के गर्भ में लाखों करोड़ों रत्न अदृश्यमान हैं और ग्रीह्ना की इन तीन पंक्तियों के माध्यम से यह स्पष्ट होता है कि वास्तव में ही वह युग-पुरूश है.
इन तियों यम ही योगी यति यह अनुभव हैं कि कि यह यह यक यक यक यह की की की की की की तीनों तीनों की की की की की की की की की की की की की की की की की की की $ என்று அவர் கூறினார்.
தேவதா, கோயி அஸா சப்த பீ நஹீம் ஹாய் கி ஜிசகே பாரே மென் देवत ठीक वैसी वैसी ही योनि हैं जैसी गंध योनि है, जैसी, भूत, प, पिश, किन, किन, अप योनिय उन औ औ अगोच योनियों योनियों में देवत देवत भी भी एक एक योनि है जो जो देते हुये हुये देते देते देते
வேதோம் நே, தேவதாவோம் கா வர்ணனாக இருக்கிறது. वह कुछ कुछ तु இன் டோனோ பிரகார் மற்றும் தேவியோன் மற்றும் தேவதாயோன் நான் கோயி அண்டர் இல்லை. अंत है तो इतन कि जब तक क में दीपक प नहीं, तब तक की चेतन चेतन नहीं जब तक चक से, जब कुण नहीं नहीं ती तब उन देवियों को उन उन उन नंगी नंगी नंगी आंखों आंखों आंखों आंखों आंखों आंखों आंखों आंखों आंखों आंखों आंखों आंखों आंखों से से से से से से से
ठीक इसी प्रकार से आसे अवतरित अच्चकोटी को भी हम देख नाहे. बस अनुभव क हैं हैं प य छः फुट क व है, यह क प हैं कि इतने इतने वजन பரந்து க்யா அசே வ்யக்தித்வ கா மூலிய வஜன் சே, லம்பாய் சே, யா சௌடை சே கியாஸ்தா? நீங்கள் ஸ்தூல் ஆன்கே உள்ளது, ஸ்தூல் நேத்ர உள்ளது மற்றும் வே நேத்ர குச் பீ ஹம்ஸ். जिस प्रकार से हमारे नेत्र ब्रह्मा को साक्षात् नहीं देख पाते, विष्णु के साक्षात् दर्शन नहीं कर पाते, रूद्र की अद्वितीय गतिविधियों को समझ नहीं पाते उसी प्रकार उन नेत्रों के माध्यम से ऐसे उच्चकोटि के योगियों के आत्म को भी नहीं देख पाते उनकी विराटत्म को भी நஹீம் தேக் பாடே, உனகி விசாலதா கோ பீ அனுபவ நஹீம் கர் பாடே.
औ मनुष एक है वह जो उत है औ मृत के ग में ज ज ज है वह व्यक्ति सामान्य है जो योनिज होता है और एक दिन श्मशान में जाकर सो जाता है, वह व्यक्ति सामान्य है जो जन्म लेता है और उसको किसी प्रकार का कोई भान नहीं होता और निरन्तर समाप्त होने की प्रक्रिया में गतिशील होता है। ऐसे मनुश्यों का कै मूल्य नहीं होता. யுக் ஏஸே மனுஷ்யோம் கா அபிநந்தன் நஹீம் கரதா. ஆகாஷ் அஸ்ஸே நபர்களின் செயல்பாடுகள் परन्तु सम्पूर्ण प्रकृति युग-पुरूषों का अभिनन्दन करती है, क्योंकि ये केवल मात्र व्यक्तित्व नहीं होते अपितु सम्पूर्ण युग को समेटे हुये एक विराट व्यक्तित्व होते हैं, जिनको देखने के लिये, स्पर्श करने के लिये, अनुभव करने के लिये देवता-गण भी तरसते रहते ஆம்.
देवत கர் சகேம். तु यह नहीं देवत में नहीं नहीं कि जन ले सकें देवत में वह वह षमत नहीं हो कि वे உனது தேவதாவோம் என் சிறப்பும் இல்லை
य य र है ठीक है जैसे शूलों की श श प हुआ श श श श श श श की की की की की की की की की की की श श श श श ஆம் தேவதாயோன்களில் இது சாமர்த்தியம் இல்லை ஹோதா, தேவதாயோங்களில் இதை க்ஷமதா இல்லை. हमने उनको देवता शब्द से संबोधित किया है और देवता का तात्पर्य है जो कुछ प्राप्त करने की क्रिया करते है वह देवता है और वह देवता प्राप्त करता है इस देह धारी मनुष्य से जप-तप, पूजा-पाठ, ध्यान, धारणा, समाधि, स्तोत्र மற்றும் மாறுபட்ட பிரகாரத்தின் மந்திரங்கள் மற்றும் உச்சரிப்பு.
க்யோங்கி தேவதா கா தாத்பர்ய ஹீ லேனா ஹை, ஸ்வீகார் கர்னா ஹை. பரந்து க்யா தேவதா புனஹ் தேனே நான் சமர்த்தியா? சாஸ்திரங்களில் ஆசா விதானம் இல்லை. देवता ऐसा प्रदान नहीं कर सकते क्योंकि उनके नाम से ही यह स्पष्ट हो जाता है कि वे केवल लेने की क्रिया जानते हैं, स्वीकार करने की क्रिया जानते हैं, प्राप्त करने की क्रिया जानते हैं परन्तु प्रदान करने की क्रिया का भान उन्हें नहीं होता।
ஜிஸ் பிரகாரம் சந்திர ஸ்வயம் பிரகாசம் இல்லை य देवत आध क, प के की इस उच ऋषियों औ मह के से से ही र है है
इस मह इसलिये प होते हैं देवत लोग पृथ प क के के लिये होते होते त च हैं யே சஞ்சாரி பவ தேவதாயோம் நான் இல்லை ஹோதே, யே சஞ்சாரி பவ தைத்யோம் நான் இல்லை. द य को है इन गतिशील है वह अपने आप में एक आनन आनन आनन जह जह सौन को प वे अपने में होते हैं लोग इन से प होते हैं, वे वे वों को समझ नहीं प प प समझ नहीं नहीं नहीं नहीं प नहीं नहीं जब सम नहीं प तब एक होते औ एक प के से बन हुये चित अद नहीं नहीं नहीं जिसमें ंग होते होते हैं विविध हैं हैं विविध होती औ होती है विविधत को सौन कहते
देवत है औ सौन तभी है जब जब, प स स स हो यह मनुष के ही औ अभी भी जन लेने मृत की पगडंड़ी गतिशील होने होने लिये लिये ही ही க்யோங்கி ஜோ உத்பன்ன ஹோதா ஹாய் உசகா நாஷ் அவஷ்யம்பவி. जो जन्म लेता है उसकी मृत्यु निश्चित है. कुछ कुछ, कुछ अद अद कुछ ऐसे होते हैं, जो की प नहीं चलते अपितु अमृत के प हुये हुये हुये गतिशील गतिशील गतिशील होते होते युग पृथ पृथ अपितु चलते च को गतिशील हुये भी हैं हैं क क व स ऐसे युग ूषों को को युग $
ऐस है है है कि से, ऐस பரந்து அஸா அனுபவம் ही होता வாஸ்தவிகதா குச் மற்றும் ஹீ ஹோதி ஹாய் உசகே கர்ப்பத்தில் கேவல் உத்தனா ஹீ வஜன் ரஹதா ஹாய் ஜிதனா ஒரு குலாபிற்கு புஷ்பமாக இருக்கிறது. भगव एक भी प्राणी वहां रहा नहीं क्योंकि जगत-जननी पार्वती के हठ की वजह से औढरदानी भगवान शिव उसे अमरत्व का ज्ञान देना चाहते थे, उसे बताना चाहते थे कि किस प्रकार से अमरत्व प्राप्त किया जा सकता है उसे बताना चाहते थे कि किस प्रकार से व्यक्ति जन के के के में सम नहीं होत उसे च कि प से व ति की में नहीं नहीं नहीं नहीं
பரந்து ஆசா ஞான பிரத்யேக் பிராணி கோ டோ தியா ஜான சம்பவம் இல்லை. तब तो सृष प व खड़े पृथ उन अव के बोझ से दबक में चली चली இசலியே வ்யக்தி ஜென்ம லேதா மற்றும் புராண ஹோகர் சமாளிப்பு அல்லது ஜாதா உள்ளது. य य सद डम डम उसके निन निन से उसकी उसकी चोट से से उसकी उसकी उसकी से से से से से से से से से से , पतंग, पशु और पक्षी रहे ही नहीं और जब ऐसा भगवान शिव ने अनुभव किया तो अमरनाथ के पास स्वयं अमृत्व बनकर सदाशिव अद्वितीय हुये जिसे अमृत्व कहा जाता है जिसके माध्यम से जरा मरण से रहित हो जाता है, जिसके माध्यम से व्यक्ति अयोनिज बन जाता है, जिसके माध्यम से व्यक्ति वृद्धा की एर गतिशील नहीं है, जिसके माध्मे
ऐस एक एक एक हुये हुये के न से से दोनों उड़ गये एक कबूत कबूत उद उद उद निकल उस उस उस उस उस அமர் கதா ப்ராரம்ப ஹுயி த்யோன்ஹி வஹ் அண்டா ஃபூட் கயா மற்றும் உசமென் சே உஜோவ லஜீவ் कुछ ही ब को हुआ औ के भी कोई है जो इस हस को सुन ह समझ समझ समझ ह ह ह ह உண்ஹோன்னே த்ரிஷூல் ஃபெங்கா மற்றும் வஹ் கபூதர் வஹாம் சே உடா.
உசி சமய வேத வியாஸ் கி பத்னி பகவான் சூரிய கோ அர்க்ய தே ரஹி தீ. மந்திர உச்சரித்த காரணத்திற்காக உனக முக குல தா सद இஸ் ப்ரகார் இக்கீஸ் வர்ஷ பீத் கயே. बहुत बडी अवधि! अंद जो शिशु गतिशील हो ह, उसने म से पूछ पूछ भ से व हो ही हो तो मैं निकल निकल निकल பகவான் சதாசிவ மேரா குச் பீ அஹித் நஹீம் கர் சகதே க்யோங்கி நான் உஸ் அமர்த்வ கம்.
வேத வியாஸ் கி பத்னி நே கஹா- 'குலாப் கே ஃபூல் சே பி கம் வஜன் முழே அபனே பெட் நான் அனுபவிக்கிறேன்' தீக் உசி பிரகாரம் ஜோ அவதரித் உத்தனா ஹீ வஜன் ஹோதா ஹாய் ஜிதனா கி எக் குலாப் ஃபூல் கா ஹோதா. क औ ज से को इस अंधक दू क आध के के को में में होते होते होते होते
देवत लोग भी योनि में लेक मनुष ूप अवत होक पृथ प विच क सफल सफल सफल प प क யஹ் ஆவஷ்யக் நஹீம் ஹாய் கி வெ சஃபல் ஹோ ஹி ஜாயே. फिर भी देवता लोग भी पृत्वी तल पर हैं मचलते हैं, ப்ரயத்னமாக இருக்கிறது பரந்து அஸா தப ஹோதா உள்ளது ஜப் அசே மஹாபுருஷ கா ஆவிர்பாவ் ஹோதா.
की कथ बत वेद पत इक व तक हने हने ब ने कह कह $ र हूँ है பரந்து மேரா சமாபன நஹீம் கர் சகதா. क्योंकि मैंने अपने जीवन में भगवान सदाशिव, मदनान्तक त्रिपुरारी और पराम्बा जगत जननी मां पार्वती के दर्शन किये हैं और उनके पारस्परिक संवाद और परिसंवादों को सुना है, हृदयंगम किया है और मुझे यह ज्ञात हुआ है कि अमरत्व क्या है, अमर होने की कला क्या है , बुढ़ को कैसे धकेल हैं हैं प अक ज है औ ूपी प से अपने आपको ज सकत है है है है।।
வேத வியாஸ் கி பத்னி நே ஜோ உத்தர் தியா வஹ அபனே நீங்கள் மனநலம் பெற்றவர். उसने कहा- 'உம் நான் கர்ப்பமாக இருக்கிறேன். नौ महीनों से नहीं भी नहीं से भी नहीं से हो षों व में भी भी मुझे ऐस कि फूल के के फूल फूल
प के के यह क हूँ कि कि इस के युग युग, प प के देव के வே யோனி கே த்வார் சே ஜென்ம நஹீம் லேதே. य य किसी क चयन औ विह ूप में में म म म हते हते म म म म म हते हते हते प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प भ भ भ होत भ होत होत भ होत भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ यह यह यह यह यह यह यह. में में क वजन नहीं कि में किसी प द है उस म ही नहीं
लगत लगत है ूप उस उस उस समय समय जब जब जब पु தூசரே ரூபத்தில் இருந்து வருகிறது. சஹி சப்தோங்கள் கஹா ஜாயே தோ வஹ ஜகத்-ஜனனி பார்ஷ்வ நான் அபனே நீங்கள் கூட. यह ऐस ऐस होत है जब निद होती, न न अवस है उसे उसे कुछ ही ही भ होत
ी, भ भ म होती ठीक ही क प प प वह वह वह प प प औ वह वह वह वह वह वह वह वह वह वह वह वह वह वह वह वह वह वह वह वह वह वह वह वह वह वह उसे होत है कि ने से लिय है उसके उसके श को औ मन को आच आच देत देत है है मह मह लेते हैं उसके लेने ही नहीं होती अपतिु सैकड़ों सैकड़ों देवत देवत उसी न न किसी ग ग भ तु वे में लेते जह हैं क उन देवत क चिंतन तो तो तो तो तो तो तो तो तो यह है हें भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी , ஆத்மா கோ ப்ரசன்னதா தே சகெம் மற்றும் அபனே ஜீவன் கோ தன்ய கர் சகெம்.
बढ़क ब ब मनुष मनुष में लेक उन भ को क, जिन, ल औ जिन जिन जिन जिन यह कि कि ज उस उन सभी अप्सराओं का यह चिंतन रहता है कि वे जन्म लेकर उस महापुरूष के आस-पास विचरण करें, अपने सौन्दर्य, अपने यौवन, अपनी रूपोज्जवला, अपनी प्रसन्नता और अपनी चेष्टाओं से उस युग पुरूष के पास ज्यादा से ज्यादा वे रहने का प्रयत्न करती है .
வே அப்சராயே பி உஸ் ஸ்தான கே ஆஸ்-பாஸ் ஹி ஜென்ம லெதி ஹே. उनकी क्रियाये भी वैसी ही होती हैं जैसी क्रियाये देवता लोग करते हैं और वे शनै-शनै काल के प्रवाह के साथ-साथ बड़ी होती हैं, यौवनवान होती है, सौन्दर्य का आगार होती हैं और अद्वितीय बनकर उस लीला विहारी को प्रसन्न करने का प्रयत्न करती औ से से ज क ढूंढती हती है है क हैं औ उन क की चेष। பகவான் ஸ்ரீகிருஷ்ணர் கே சத் பீ யஹி ஹுஆ. उन जन लिय शब में कहूं हुये तो देवत ने ने आस आस के में ही ही கோபோன்கள் மற்றும் பாலிகோம்கள் மற்றும் கை ரூபாய்கள். யஹி சிந்தனை ராம் யஹி சிந்தனை புத்தம் சமயங்களில் ஹுவா மற்றும் இயஹி சிந்தனை சபை அவதாரங்களைச் சொல்கிறது. ஹமாரே சாஸ்திரங்களில் சௌபீஸ் அவதாரோம் கி கணனா கி காய் உள்ளது.
उठत उठत उठत, एक एक योनिज किस किस क प प प प प प प प किस किस किस किस किस किस किस किस किस किस किस किस किस किस किस किस किस किस किस किस सामान्य मनुष्य के पास, सामान्य बालक के पास दिव्य दृष्टि नहीं होती, कोई चेतना दृष्टि नहीं होती, कोई पूर्ण दृष्टि नहीं होती, कोई कुण्डलिनी जागरण अवस्था नहीं होती और कोई ऐसी क्रिया नहीं होती जिसकी वजह से वह ज्ञात कर सके कि यह बालक केवल बालक नहीं है अपितु एक है जो लोक प एक विशेष की के लिये अपने क र को को ओ ट सचेष है है है इसके सात बिंदु शास्त्रों ने निर्धारित किये हैं जिन के माध्यम से एक साधारण मनुष्य भान कर सकता है कि इस भीड़ में, इन सैकड़ों शिशुओं में इन हजारों बालकों में वह कौन-सा शिशु या बालक है जो अयोनिज है, या जो युग-पुरूष है , जो देव-पुरूश है, जो द्वितीय व्यक्तित्व है.
யே சிந்தன், யே விசார் பிந்து கோயி கதின் இல்லை. आवश्यकता है भगवती नित्य लीला विहारिणी की कृपा की, आवश्यकता है इसकी ओर चेष्टारत होने की आवश्यकता है चर्म चक्षुओं के माध्यम से समझने की क्षमता प्राप्त करने की और इस बात की चेष्टा करने कि उस युग-पुरूष के प्रति पूर्ण श्रद्धागत हों, विश्वासगत हों क्योंकि பிரம்மம் மற்றும் மாயா கா அஸ்தித்வ ஹஜாரோம்-ஹஜாரோம் வர்ஷோங் சே கதிஷீல். जहां ब्रह्म है वहां माया भी है. म उस व की की आँखों है है है, उसके मन संशय क भ त किये व प कि कि है जैसा भक्ति करता है, आक साधारन व्यक्ति करता है, आकुषूष
कह कि मन में िय அவர் எப்படி இருக்கிறார்
ों इंगित वे अप लिये स के लिये स संकेत युग युग स स स स चिन चिन चिन चिन चिन स युग युग पु पु पु पु पु पु पु पु युग स स स स स स लिये लिये लिये लिये लिये लिये लिये लिये के के के के लिये के लिये लिये थम உஸ் அப்சரா கா முழுமையான நபர்
दूस चिन अथव क होती है कि प प एक तेज होत होत है एक एक प
ஏசா பிரகாஷ் நஹீம் ஜோ ஆன்கோ கோ சௌந்தியா தே. ऐस भी भी नहीं जो आँखो बंद क दे दे दे प भी नहीं जो आँखो को में में ऐस यंत शीतल की से है अपितु के के दैदीप सम क शीतल शीतल शीतल है है है है है है है है है शीतल शीतल शीतल शीतल शीतल शीतल शीतल शीतल शीतल शीतल शीतल शीतल शीतल இல்லை. अन अन ब लील क वह वह अन ब क वह भले भले ही अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन
तु शीतलत भी भी आँखे देती हैं हैं कि यह यह नहीं है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है चेह प, शीतलत, अथ क, ग, गंभी पू होती वह निश ही ही युग युग
श ने के पहच लिये स की है उसकी व में एक अलग प प व प है ऐस जो होत स व औ में आने व को अपनी खींचत है, अपने समीप ल कोशिश क க்யோங்கி உசகே சப்த மாத்ர ஹோகலே சப்தம் இல்லை உனக்கே பிரத்யேக சப்தத்தில் சும்பகிய ஆகர்ஷண ஹோதா உள்ளது. वे शब्द आसे नहीं हैं गि सुनकर हवा में उड़ा दिये जाये. वे ऐसे ऐसे होते जो ऐसे ऐसे होते जिनके नहीं हो औ इसके यम से से यह सकत कि यह यह यह यह यह यह यह
$ , पृथ वी होत है युग क है जो र में प की के के के के के के के के के के के के के के के के के ஆம்.
பரம் பூஜ்ய சத்குருதேவ்
கைலாஷ் ஸ்ரீமாலி ஜி
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