மனிதன் இஸ் க்ரம் சுத்ரிததா பர் ஹி மனுஷ்ய ஜீவன் கி கதி நிர்தாரித் ஹோதி. म इससे शक शक शक ह होती है की की सोचने की क होती है है है सू तत के न होने के के होत होत होत होत होत होत होत होत होत
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सू के शुभ अवस इस जी द तेजस तेजस पू प प की ज।। हम हम हम जीवन जीवन क लगे कुप मुक हो सकेगी सकेगी जीवन जीवन य சூரிய கி அனந்த சக்தியோங் துவார பௌதிக் ஜீவன் கி சபி உபலப்தியோங் கீ ப்ராப்தி
प की चेतन शक भीत जीवन के के क र में में क में सफल होत होत होत होत मन दीक जीवन जीवन जोश उमंग उमंग उमंग की की प अन तथ
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