म गय गय . मंत जप जप अपनी आगे क झुंझल उठ य तो तो अब मैं मैं मैं देखूं அதிக சே அதிக யஹ் தேஹ் ஹீ தோ நஷ்ட ஹோ ஜாயேகி, கோயி பாத் இல்லை. नई देह से फिर साधना करूंगा, लेकिन यूं गिड़गिडा कर ओर रो-झींक कर साधना करने का कोई अर्थ नहीं और वह भी वीर वैताल जैसी साधना जो अपने आप में पूर्ण पौरूष साधना है— पूर्ण पौरूष प्राप्त कर लेने की—नहीं प्राप्त करना मुझे छोटे -மோட்டே பிம்ப் மற்றும் இல்லை பிராப்த் கரனி முழே மாமூலி சாதனா கர்னி உள்ளது चाहे वीर वैताल की ஹோ யா பைரவ் கீ. யதி நான் கஹா மற்றும் பாவன் பைரவ நரித்ய கரனே லகே நீங்கள் நான் என்ன செய்ய வேண்டும்? धिक मे जीवन अपम अपम है गु निखिलेश जी क यही हुये तीन दिन पू ज मिल . जो प प शक पुंज को वशीभूत क सके सके उसको अपनी र औ औ इसी से गोपनीय हो गई गई
'வ்யர்த நஹீம் ஜாதி ஹாய் கோய் பீ சாதனா— ஒரு-எக் க்ஷண கி சாதனா கா ஹிசாப். विश न हो पूछ मुझमें क थ तुझे अद औ ध स बन देने लिए औ औ जप जप जप जप एक अणु अणु को क की बन की वी की सिद सिद प त तुझे तुझे एक ब पुनः घटन घटेगी घटेगी इस इस इस प प
ஆத்யா சங்கராச்சாரியாவின் பாத் கோயி பி சித்த சாதகம் இல்லை पूज व व जयप दुःखी में कुछ तो लेकिन अभी तीन दिन थे पू प प होने होने तीन अ 72 घंटे घंटे में निमग को को को झपट लिए को तो एक एक पल पल भ हैं पिंज में बंद बंद सिंह सिंह सिंह सिंह सिंह सिंह सिंह सिंह सिंह सिंह उसकी पिंज खुले झपट ले अपने को वी य य स की गति गति के ये सब जैसे ही ही ही ही जैसे ही ही ही
क क ल य भुत वन आज भी क हो थ थ यपि कहने को ह क्रिया पूर्ण होने की घड़ी और कोई याचना नहीं, कोई प्रार्थना नहीं, वीर वैताल का प्रकट होना दासत्व स्वीकार करना ही था— मंद चलती हवा एक क्षण के लिए रूकी, ज्यों प्रकृति की ही श्वांस थम गई हो, अचानक एक ओर से आंधी का प्रचण्ड झोंक आय, एक बुगल बनक उड़त हुआ, अपने स आक उड़ ज के लिए अन प आहुतिय शेष, घब घब गय!
लेकिन आत्म संयम नहीं खोया और उस विशिष्ट रक्षामंत्र का उच्चारण कर उछाल दिये सरसों के दाने उसी दिशा में— थम गई एक प्रचण्डता, लेकिन जाते-जाते भी उस विशाल और बूढे़ वट वृक्ष को जमीन में मटियामेट करते हुए कोलाहल सा मच गया चारों ओर सैकडों பக்ஷியோங் கே சாத்-சாத், வஹி தோ ஆஷ்ரய ஸ்தாலி பதா இல்லை கின்-கின் பத்கதி ஆத்மாவோம் கீ.
प भले कि भी भी एक अनहोनी को घटित घटित होते देखक देखक एक वश वश को उद्धत हो गया हो वह अदना भी कहां? दू बहती नदी छपछप कुछ तेज हो पत नहीं हव प य ही एक घटन को देखने.
आहुति आहुति - आहुति दम कोल हो की चीखें हलचल भगदड़ ज कोई बहुत बहुत अब इन होन हैं हैं जो सम थ मुझे तो क ही दिय अब अब ब मे में லாக் பயபீத் கர் லே கோயி பீ முஜே லெகின் இன் சபகே ஸ்வாமி வீர் வைடால் கோ தை நான் भल கிருஷகாய தாம்ர வர்ணி லேகின் செஹரே பர் பிகரி ஹுயி அஸி வீபத்ஸதா ஜோ கி தே. अत्यन्त घृणित और भयास्पद चेहरा आँखे मानों गड्ढों में धंसी जा रही हो और उस क्रूरता से भरी आँखों में अग्नि की ज्वाला प्रकट हो रही थी, लेकिन दोनों हाथ अभ्यर्थना में जुड़े हुए— एक प्रकार से अपनी पराजय स्वीकार करते हुये, एक ओर रखी मदिरा की बोतल उछाल दी जयपाल ने उसकी ओर साधना की पूर्णता और उसकी अभ्यर्थना को स्वीकार करने के लिये— तंत्र की एक ऐसी क्रिया जिसका रहस्य तो केवल परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के पास ही सुरक्षित बचा था और जिसे उन्होंने प्राप्त किया था अपने साधक-जीवन में आद्य शंकराचार्य की आत्मा को अपने योग बल से प्रत्यक्ष कर— रोम-रोम हर्षित हो रहा था, आज मैनें एक अप्रतिम साधना प्रत्यक्ष कर स्वयं तो एक सिद्धि प्राप्त की ही है, एक दुर्लभ शक्ति को हस्तगत किया ही है, साथ ही आज मैंनें अपने गुरू கெளரவ கோ भी प्रवर्धित किया है.
வைதால் சாதன மூலத் தாந்த்ரேக்த சாதனா ஹோனே உபராந்த பீ யதி இது போன்ற வார்த்தைகள். भी शनिव को सम व में एक क लेत है कि उसे जीवन में किसी प क भय धि स स है उसके उसके पू अंसभव अंसभव अंसभव थे है के के थे थे थे थे है है के के के के के के के के $ भी जन्न प्रापत कर लेना या धन या भोजन की निरन्तर प्राप्ति बाई बैने बाबें வாஸ்தவத்தில் பிரத்யேக குரு அபனே சிஷ்ய கோ ஆண்ஷிக் ரூபம்
वैत के आवश है में वैत क ले बिन बिन इस दीक दीक को प स வைதாள் சௌம்ய ஸ்வரூபத்தில் உள்ளது. कमजो दिल व अशक को वैत से पूज गु की आज आवश आवश। प में न कोई औ न कोई स की आवश होती है है के अनुस इस प लिए तीन की होती होती होती होती होती 1 சித்தி பிரதாயக் வைதாள் யந்திரம், 2 சித்திதாயக் வாய்தாள மாலா, 3 பகவான் சிவன் அதவ.
இசகே அலவா சாதக் கோ அன்ய கிசி பிரகார் கி சாமக்ரி கி ஜரூரத் நஹீம் ஹோதி. स को को की प भयभीत औ विचलित हों हों हों वे ूप ूप इस स क क सकते ि 10:00 ि ब लें औ ब य किसी प पहले ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही யா ஏகாந்த ஸ்தானத்தில் பைத் ஜாயே.
फि स एक स की में यंत क जो जो की मंत एवं एवं त हो இசகே பிக்ஹே பகவான் சிவன் அதாவா மஹாகாளி ஜீவட் கோ ஸ்தாபித் கர் டென், ஃபிர் சாதக் ஹார்ட்
த்யான் கே உபராந்த சாதக் வைதல் மாலா சே மந்திரம் கி 21 மாலா மந்திரம் ஜப் ஸம்பன்ன கரே. यह छोट होते हुए अत है औ तंत में इस की अत त प की की मंत को चैतन शक क से मंत जप के स स शक शक की भी भी वैत सिद
मंत जप होत है मंत जप सम होते होते सौम स में वैत स जोड़ क में प प होत है ल च च क में ूप में होऊंग औ आप भी आज देंगे उसे पू पू वैत को वहीं छोड़ अदृश हो ज
दिन दिन स स आदि निवृत होक यंत औ वह भोग भोग किसी में ख दें अथव नदी மஹாகாளி யா பகவான் சிவ ஜீவத் கோ பூஜை ஸ்தானத்தில் நிறுவப்பட்டது.
பெறுவது கட்டாயமாகும் குரு தீட்சை எந்தவொரு சாதனத்தையும் செய்வதற்கு முன் அல்லது வேறு எந்த தீக்ஷத்தையும் எடுப்பதற்கு முன் மதிப்பிற்குரிய குருதேவிடமிருந்து. தயவு செய்து தொடர்பு கொள்ளவும் கைலாஷ் சித்தாஷ்ரம், ஜோத்பூர் மூலம் மின்னஞ்சல் , , Whatsapp, தொலைபேசி or கோரிக்கை சமர்ப்பிக்கவும் புனித-ஆற்றல் மற்றும் மந்திரம்-புனிதப்படுத்தப்பட்ட சாதனா பொருள் மற்றும் கூடுதல் வழிகாட்டுதல்களைப் பெற,
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