श्री गणेश आदि स्वरूप, पूर्ण कल्याणकारी, देवताओं के अधिपति है जिन्हें प्रसन्न करने के लिए समुचित प्रयत्न करना पड़ता है, सभी प्रकार के पूजनों में प्रथम पूजन के मौके पर कोई न कोई बाधा आ जाती है, इस प्रकार की बाधा को हटाने के लिये जिससे कार्य निर्विघ्न रूप से पूर्ण हो जाय, शास्त्रीय आधार है, किसी भी कार्य को पूर्ण रूप से सिद्ध और जैसे-तैसे पूरा न हो कर जिस सफलता के साथ कार्य पूरा करने की इच्छा है उसी रूप में कार्य पूरा हो, इसके लिये ही गणपति पूजन விதான நிர்தாரித் கியா கயா ஹாய்.
கணேஷ் பூஜை நீங்கள்? प्रतिज्ञा और ज्ञान की भी एक सीमा अवश्य होती है, व्यक्ति अपने प्रयत्नों से किसी भी कार्य को श्रेष्ठतम रूप से पूर्ण करते हुए उज्जवल पक्ष की ओर विचार करता है, लेकिन उसकी बुद्धि एक सीमा से आगे नहीं दौड़ पाती, बाधाये उसकी बुद्धि एवं कार्य के विक ोक ोक है औ यही.
सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति और पूर्णता ब्रह्मा, विष्णु और महेश द्वारा सम्पादित की जाती है, लेकिन सृष्टि की उत्पत्ति के साथ ही यह व्यवस्था सुचारू रूप से चलती रहे, और विघ्न न आये-यह गणेश के ही जिम्मे है, आसुरी प्रकृति के अभक्तों के त, हैं हैं व के लिए विघ ऋद के इसी ी को को को को को को को को को को को को को को हैं हैं हैं हैं
सभी प्रकार के देवता विभिन्न शक्तियों से सम्पन्न हैं, लेकिन विशिष्ट कार्य के लिये विशिष्ट शक्ति-सम्पन्न देवताओं का स्मरण, पूजन, साधना सम्पन्न करनी पड़ती है, इसीलिये सभी पूजनों में कोई भी कार्य निर्विघ्न, पूर्ण फलयुक्त, मंगलमय रूप से पूर्ण करने हेतु श्री கணபதி கா பூஜன் கியா ஜாதா உள்ளது.
गणेश का स्वरूप शक्ति और शिवतत्व का साकार स्वरूप है और इन दोनों तत्वों का सुखद स्वरूप ही किसी कार्य में पूर्णता ला सकता है, गणेश शब्द की व्याख्या अत्यन्त महत्वपूर्ण है, गणेश का 'ग' मन के द्वारा, बुद्धि के द्वारा ग्रहण करने योग्य, योग योग
ஸ்ரீ கணேஷ் த்வாதச நாமம்
लोक लोक बाहर जाते समय, संग्राम अर्थात् शत्रु और विपत्ति के समय, यदि श्री गणेश के इन बारह नामों का स्मरण करता है, तो उसके उद्देश्य की पूर्ति में अथवा कार्य पूर्णता में किसी प्रकार का विघ्न नहीं आता, गणेश जी के ये बारह नाम हैं-
1- सुमुख, 2- एकदन, 3- कपिल, 4- गजक, 5- लम, 6- विकट, 7- विघ, 8- विन, 9- धूम, 10- ष, 11- भ, 12-
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अर्थात् महागणपति के बाये भाग में सिद्ध लक्ष्मी, मणिमय रत्न सिंहासन पर विराजमान हैं और गणपति का शरीर करोड़ों सूर्यों के समान चमकीला रक्तवर्णीय है, मस्तक पर अर्द्धचन्द्र है, ग्यारह भुजाओं में मातुलंग, गदा, इक्षु, सुदर्शन, शूल, शंख, पाश, कमल , ध, मंज, तथ त हैं, ऐसे ऐसे, पू विघ विघ वंसक मह क क
लोक जीवन में गणपति का स्थान महागणपति का लोक जीवन में लोक कथाओं में जो विवरण एवं स्थान है, उतना विवरण किसी अन्य देव शक्ति का नहीं होता, सामान्य बातचीत में किसी कार्य का शुभारम्भ करने को, कार्य का श्री गणेश कहा जाता है, किसी भी पूजन पूजन नहीं होती लोग लोग क क गणेश की की स हैं तो लक स स स लक लक $ -घट प ज है में की प शुभ में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में गणेश चतुर्थी को उत्तर-प्रदेश के अवध क्षेत्र में 'बहुला चौथ' के रूप में सम्पन्न किया जाता है- जिसमें माताये विधि-विधान सहित गणेश की पूजा करती हैं, महाराष्ट्र तथा दक्षिण भारत में भाद्रपद सुदी-चतुर्थी को स्थान-स्थान पर गणेश प्रतिमा சமாரோஹத்தின் பிரதிஷ்டை மற்றும் ஜாதி உள்ளது மற்றும் அனந்த சதுர்தசி கோ கணேஷ் விசர்
पंज अथव अथव अथव के स में में जन जीवन जीवन जीवन जीवन यदि मन में आस तो किसी किसी में हो ही है है, लेकिन प पूज कुछ विशेष नियम होते हैं उनक क विशेष फल फल फल फल पूज पूज ब है क है है की ण ण कृष कृष चतु कृष कृष कृष कृष कृष कृष चतु चतु चतु चतु चतु चतु चतु चतु चतु चतु चतु चतु चतु ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण ण
ूप ूप से जल है औ जल जीवन है, इसलिये अपने में तत को क हेतु हेतु यों स स क स दैनिक शुभ भ त देवतओं देवतओं देवतओं देवतओं
சத்ரு பாதா, சாந்தி ததா தாந்த்ரேக்த சாதனாயே பிராரம் கரனே சே பஹலே உச்சம். भन भन ज में आधी तो गणपति से ही ही ही प प प
स, विन, विन चित, विन
பூஜை கிராம்
सर्वप्रथम अपने स्थान पर स्वच्छ आसन पर बैठ कर आसन की पूजा करें, और सामने विनायक गणपति चित्र तथा विनायक गणपति यंत्र के लिए साफ आसन बिछाये और उस पर गणपति यंत्र तथा चित्र स्थापित करें, अपने दाये हाथ में ताम्र पात्र ले जल लेकर पूजन का संकल्प औ जल जल दें प में में ओ छिड़कें यंत औ प को स औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ त क विघ क हैं एवं के विघ विजयी य सू सू के प प क क क क
இசகே பச்சத் புஷ்ப், அபீர்-குலால், அக்ஷத் இத்யாதி அர்பித் கரென் மற்றும் மௌலி வஸ்த்ர.
கணபதி பூஜையில் துளசி பிரயோகம் சர்வதா வர்ஜித் உள்ளது, துர்வாது அர்த்தம்
इसके पश्चात् एक कोने में चार सुपारी चावलों की ढेरी पर स्थापित करें और उनके सामने गणपति को चढ़ाया गया नैवेद्य रखें, ये चार सुपारियां गणपति के चार सेवकों- गणप, गालव, मुद्गल और सुधाकर की प्रतीक हैं, इन्हें गणपति पर चढ़ाया हुआ प्रसाद ही चढ़ायें , अब प्रतिमा के सामने बारह चावल की ढेरियां बनाकर प्रत्येक पर गणपति के बारह स्वरूपों- सुमुख, एकदन्त, कपिल, गजकर्ण, लम्बोदर, विकट, विघ्ननाशक, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचन्द्र, गजानन का ध्यान करते हुए प्रत्येक का पूजन करें। गणपति पूजन में मंत्र सिद्ध प्राण प्रतिष्ठा युक्त 'विनायक गणपति यंत्र' विशेष आवश्यक है, क्योंकि यह गणपति की शक्तियों का साकार स्वरूप है, इसके पश्चात् नारियल तथा ऋतु फल अर्पित करें और अपने स्थान पर खड़े हो कर दोनों हाथों से ताम्र पात्र में जल अर्पित கரே, கணபதியின் பீஜ மந்திரம் சம்பந்தமான பல அதிக மத-மதங்கள் உள்ளன, இது சம்பந்தம்
மந்த்ர கி பாஞ்ச் மாலா கா ஜப் மூங்கா மாலா சே உசி ஸ்தான் பர் பேட்கர் கர்னா சாஹியே.
पश प क इसके ज की एक एक ही ही दक श त। है
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ज में में चक गणेश है अतः अतः योग औ तंत में में भी सिद सिद
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संकल संकल संकल भुज भुज व कमल दल पश இன்கி ஆத திஷாவோம் ஸ்தாபன கர் பூஜன் கரண சாஹியே. पूजन हेतु गणपति गणपति, उच गणपति यंत प की स क विधिवत पूज पूज होनी பிரசாத் ஸ்வரூபம் லட்டு கா அர்பண கர்னா சாஹியே. தத்பச்சத் நிம்ன உச்சிஷ்ட கணபதி மந்திரம் 21 மாலா ஜப் மூங்கா மாலை 11 வது.
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சாதன விதி
पूज में में चित के ही एक की प कटो ह गणपति स क दें उसे सिन से ंग ंग ंग दें दें दें सिन से अपने के औ लेख के दी विधि गणपति पूजन पूजन पश औ तत त यह विशिष जपें पीठ पीठ पीठ சவ லாக் மந்திரம் ஜப் கா ஒரு புரஷ்சரண் ஹோதா ஹை, ஜிசே 30 தினங்களில் அவசியம்.
யே சபி உத்தம் சாதனாவே மற்றும் ஜோ இன்ஹென் சம்பன்ன கரதா ஹை, ஜீவன் மென் கணபதி அபனே பக்தோங்களுக்காக நிலையான கிருபா பார்வை பிரதான் கரனே வாலே சஹஜ், சரல்.
பெறுவது கட்டாயமாகும் குரு தீட்சை எந்தவொரு சாதனத்தையும் செய்வதற்கு முன் அல்லது வேறு எந்த தீக்ஷத்தையும் எடுப்பதற்கு முன் மதிப்பிற்குரிய குருதேவிடமிருந்து. தயவு செய்து தொடர்பு கொள்ளவும் கைலாஷ் சித்தாஷ்ரம், ஜோத்பூர் மூலம் மின்னஞ்சல் , , Whatsapp, தொலைபேசி or கோரிக்கை சமர்ப்பிக்கவும் புனித-ஆற்றல் மற்றும் மந்திரம்-புனிதப்படுத்தப்பட்ட சாதனா பொருள் மற்றும் கூடுதல் வழிகாட்டுதல்களைப் பெற,
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