व व की को अवत प तो ह दृष से सफलत सफलत प होती ही ही कृष्ण-तत्व से जुड़ी कुछ विशेष साधनाये आपके लिये- भगवान विष्णु के अवतरण प्रत्येक युग में सम्भव हुये हैं और होते रहेंगे, किन्तु भगवान श्रीकृष्ण की पुष्टि केवल जन सामान्य की भावनाओं के आधार पर ही नहीं वरन् शास्त्रीय आधार पर भी की जा सकती है, सभी ने एक श को ही ही है है भौतिक पक के प भी भी जीवन के। के के भगवान श्रीकृष्ण की प्रचलित छवि में उन्हें ईश्वर तो माना गया, किन्तु उनके साथ जुड़े साधना पक्ष और उनकी प्रबल आध्यात्मिकता की उपेक्षा कर दी गई, जबकि इस बात के पूर्ण प्रमाण मिलते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण कुशल तंत्रवेत्ता और साधक भी थे, जिन्होंने शिष्य रूप में அபனே குரு சந்தீபன் ஆஸ்ரமத்தில் ரஹகர் அநேக சாதனங்கள் ஞான பிராப்த கியா தா.
श ण से जुड़ी के पीछे उनके होने होने कथ ही निहित है, जिसे र क य வஸ்துதஹ் 'கிருஷ்ணா' சப்த ஹீ அபனே நீங்கள் உங்கள் ஜீவன் கா அத்யந்த காந்தி ரகசியம் போன்றே. द जह जह 'क है है, वहीं' वहीं ऋ ति है है है इस इस षोडश कल हस ण को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को शब को शब को शब शब शब शब शब शब शब शब शब शब शब. स भोग दोनों की औ इसी भगव कृष की की स स अपने अपने आप आप आप सम
பிரத்யேக தேவி யா தேவதா வஸ்துத: மந்திர ஸ்வரூபம் உள்ளது பீஜ் ஸ்வரூபம் என்பது பகவான் ஸ்ரீகிருஷ்ணா கோ 'க்ளின்' ஸ்வரூப மான கயா அர்த்தம். क यदि यदि सिद अपने जीवन इस पक से कोई कोई भी है है तो ही सौ गुनी गुनी होती ली भ भ भ
बन विव विव सम सम यह यह दिवस दिवस दिवस दिवस दिवस दिवस दिवस दिवस दिवस यह यह वशीक यदि कोई यक किसी प प क हो हो उसे भी उस में निःसंकोच निःसंकोच न
व में को विविध के के के के द च च क प प भी भी है स तक संभव इस दिवस क प सौन हेतु हेतु ही ही ही क बिन अपने मनोभ अथव प बोझ खे स उन इस दिवस प सम क क है तो कोई
यह हम इस विशेष से हुई कुछ गोपनीय क हैं जो भगव कृष कृष स की भ भ ही ही ही को को को को को समेटे प ञ, प, कल प मनोह अनुकूल जीवन जीवन भी
யஹ பகவான் ஸ்ரீகிருஷ்ணா ஸே சம்பந்தித் பிராரிம்பக் சாதனா. भगव श क सम के से आवश ही होत है है कि स प अवश को जीवन की प्रत्येक सौन्दर्य साधना का मूल भी यही साधना है और इस साधना को विशेष रूप से जन्माष्टमी की रात्रि में ही सम्पन्न करने के कारण साधक को अवश्य ऐसी प्रबलता मिल जाती है जिससे वह स्वयं रूप-सौन्दर्य के साथ-साथ एक विचित्र प्रकार के सम्मोहन से भरे सुम्बकत्व को प्राप्त करने में समर्त हो जाता है.
श ण क कृष इस 'क क से इस थ थ कुछ क की व्यक्ति स्वतः உனக பிரஷம்ஸக் மற்றும் அனுயாயி ஹோ ஜாதா தா. केवल ही ही नहीं पशु भी, केवल उनके प ही नहीं, उनके कौ उनके आक में ूप से बंधे
स के है दोनों स स अपने पीले पीले क दे दे वह स भी भी पीले बैठे சமனே ராதா-கிருஷ்ணா கா சம்யுக்த சித்திர ஸ்தாபித கரே மற்றும் கக்ஷ கோ சுசஜ்ஜித் கரே. ஸாதக யதாஸம்பவ ராத்திரியின் தஸ் பஜே பாதம் ஹி யஹ் சாதனா ஆரம்பம். भोज पत से अष बन दल चित के केस केस से से क ग को को
यह भी यंत्र ही है மற்றும் इसका भी पूजन साधक 'கிளீம்' யந்திரம் போன்றது. घீ கா தீபக் லகாயே மற்றும் சுகந்தித் அகரபத்தி பிரஜ்வலித் கரே. यंत, चित, चित
मंत जप कुछ वहीं चित हें औ इस तेजस मंत क प आपके ोम ोम में व। ह हो हो हो हो ह ह। யதி சம்பவ ஹோ தோ ராத்திரி ஷயன் பீ வஹீம் கரேம். जल जल पत अंकित अंकित क यंत एवं एवं पवित पवित में में प अंकित अंकित प र प स कुछ के ही ोम में होने प लोगों के में प देखक खुद ही स को को समझ समझ यद
यदि साधक किसी स्त्री अथवा व्यक्ति विशेष को सम्मोहित करने के स्थान पर इस बात में रूचि रखता हो कि समाज के प्रत्येक वर्ग के व्यक्ति उससे प्रभावित हों, उसकी आज्ञा का पालन करें या स्पष्ट शब्दों में कहें कि उसे देखकर सम्मोहित हों, तो उसे यह प्रयोग करना ही Chahiye. इस प्रयोग की विशेषता यह है कि इसे सामान्य रूप से सिद्ध किया जाता है, फलस्वरूप व्यक्ति को चतुर्दिक् सफलता और ख्याति तो मिलती ही है साथ ही उसके अंदर चुम्बकीय और अधिकार तत्व भी पुष्ट होता है, जिससे उसकी वाणी और व्यक्तित्व में एक अनोखी सी गंभीरता மற்றும் ஆகர்ஷண உதர் அது உள்ளது.
யஹ் பிரயோக் கேவல் ஜன்மாஷ்டமி ராத்திரியில் ஹீ ஸம்பன்ன கியா ஜா சக்தா ஹாய். சாதக் கோ சாஹியே இந்த திவஸ் விஷேச ராத்திரியில் தஸ் பேஜே மிகவும் முக்கியமான விஷயம். उसके, आसन, स कपड़ सभी पीले के हों वह स अथव केस क क क स में में இந்த சாதனம் ஏகாக்ரதா கா விசேஷ மஹத்வ ஹாய். कक दीपक कोई भी व न औ इसी इसी प प अपने अपने अपने अपने अपने प प प
இந்த மந்திரம் ஒரு சாஃப் காகஜ் பர் லிக் கர் உசே தீபக் சமீப் ஹி ரக் லெம். जहां तक संभव हो, मंत्र-जप काल में यंत्र पर हि त्र्ष्टि तिकाये रहें. மந்திரம்-ஜப் உபராந்த யந்திரம் பர லாகே சம்பூர்ண காஜல் கோ சம்பால் கர் ரக் லெங் மற்றும் கு. यंत एवं य में न लें जब कोई विशेष हो हो में हो हो तो इस बहुत சமூக சம்மோஹன் கா யஹ் அசூக் ஏவன் அத்விதீய பிரயோகம் மான கயா உள்ளது.
इस साधना हेतु साधक रात्रि का प्रथम प्रहर बीत जाने के पश्चात् साधना क्रम प्रारम्भ कर अर्धरात्रि के साथ पूर्ण कर मंत्र जप सम्पन्न करें, इस साधना हेतु इच्छा पूर्ति गोविन्द यंत्र, दो गोविन्द कुण्डल तथा आठ शक्ति विग्रह आवश्यक है। अपने सामने सर्वप्रथम बाजोट पर पुष्प ही पुष्प बिछा दें और उन पुष्पों के बीचों-बीच इच्छा पूर्ति यंत्र स्थापित करें तथा इस यंत्र का पूजन केवल चन्दन तथा केसर से ही सम्पन्न करें, अपने सामने कृष्ण का एक सुन्दर चित्र स्थापित करें, चित्र पर भी तिलक करें तधा प्रसाद स्वरूप नंचाम्रत हो, जिसमें घी, दूध, दही, शक्कर तोगा अति नैवेद नैवेद क हैं पू दोनों गोविन प केस केस क क टीक लग ह जोड़क कृष कृष कृष ह लग लग क क क ति
यै यै यै नमः नमः नमः ऊॅं त ऊॅं नमः नैऋत नैऋत चिमदले चिमदले पश नमः नमः नमः नमः नमः नमः नमः नमः नमः नमः नमः नमः नमः नमः नमः नमः नमः नमः व व व पश पश पश
ति मंत मंत जप है है इसकी भी विशेष है है इसमें अपने अपने अपने इसमें इसमें इसमें
108 क क इसी विधि से सम है यह पू हो के जल क क क क
यदि स एक महीने एक मंत मंत जप क, तो इच छित अवश ही हो ज ज
கிருஷ்ணா பூரா ஜீவன் சத்ருவோம் கோ கபி நீதி செ பாரஸ்ட் கர், சாந்தி ஸ்தாபித் கரஸ்தார். ஜஹாம் தர்மம், வஹீம் ஸ்ரீகிருஷ்ணன்
जब शत्रु बाधा बहुत बढ़ जाये, तो अपने सामने इस साधना दिवस के दिन अर्द्धरात्रि के पश्चात् शत्रुहन्ता प्रयोग सम्पन्न करना चाहिये, श्री कृष्ण सुदर्शन यंत्र के साथ मंत्र-सिद्ध कृष्ण पाश तथा कृष्ण अंकुश की स्थापना कर विधि-विधान सहित पूजन करना चाहिये, अर्द्धरात्रि के पश्चात् साधक अपने पूजा स्थान में एक बड़ा दीपक लगायें, दूसरी ओर धूप, अगरबत्ती जलाये, दक्षिण दिशा की ओर मुंह कर सर्वप्रथम कृष्ण आयुधों का पूजन करें, प्रथम पूजन कृष्ण पाश और द्वितीय पूजन कृष्ण अंकुश का करें और पूजन करते समय पूरे समय ' ஊம் சுசக்ராயை ஸ்வாஹா' கா மந்திரம் ஜப் கரதே ரஹேம்.
इस पूजन के पश्चात् सामने चावल की ढेरी पर श्रीकृष्ण सुदर्शन यंत्र स्थापित करें तथा चारों ओर कृष्ण के अस्त्र-शस्त्र प्रतीक आठ लघु नारियल स्थापित करें, ये आठ लघु नारियल आठ हाथों में स्थित शंख, चक्र, गदा, पद्म, पाश, अंकुश, धनुष ததா ஷர் கே ப்ரதீக் ஹேன் ததா பிரத்யேக் லகு நாரியல் பர் குங்கும், கேசர், சாவல் சத்தம் போன்ற
अपनी ब न की क सुद यंत स स पूजन से पूजन पूजन सम क
இந்த மந்திரம் 5 மாலை ोठा आठों लगु नारीलों को आक लाल कदेखें तो प्रबल से प्रबल शत्रु भी सांत हो जाता है.
பெறுவது கட்டாயமாகும் குரு தீட்சை எந்தவொரு சாதனத்தையும் செய்வதற்கு முன் அல்லது வேறு எந்த தீக்ஷத்தையும் எடுப்பதற்கு முன் மதிப்பிற்குரிய குருதேவிடமிருந்து. தயவு செய்து தொடர்பு கொள்ளவும் கைலாஷ் சித்தாஷ்ரம், ஜோத்பூர் மூலம் மின்னஞ்சல் , , Whatsapp, தொலைபேசி or கோரிக்கை சமர்ப்பிக்கவும் புனித-ஆற்றல் மற்றும் மந்திரம்-புனிதப்படுத்தப்பட்ட சாதனா பொருள் மற்றும் கூடுதல் வழிகாட்டுதல்களைப் பெற,
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