சூரியன் வாழ்க, மனுஷ்ய வாழ்க்கை.
यदि सूर्य को ग्रहण लग जाय, तो हवा में कार्बनडाइऑक्साइड गैस की अधिकता हो जाती है, पेड़-पौधे कुम्हलाने लगते हैं, सभी चीजें ग्रहण के दुष्प्रभाव से ग्रसित होने लगती है, इसीलिये ग्रहण काल मनुष्य और प्रकृति दोनों के लिये ही हानिकारक एवं अशुभ माना ஜாதா உள்ளது.
கிந்து இந்த சமய கோ மந்திர-தாந்திரிக செயல்கள்
की गई छोटी व अनुष होती है जो फल फल क क फल फल फल फल फल फल फल फल फल फल फल फल फल फल फल . नी हैं हैं हैं होते होते होते है उच के के, संन हैं ऐसे क चूकते नहीं ऐसे के ष ष त ष ष ष त त त त त त त त त त சக்ஷம் ஹோ சகே.
बड़े से बड़ा तांत्रिक भी इन क्षणों को उपयोग करने से नहीं चूकता, क्योंकि यही क्षण होते है- विशिष्ट तंत्र क्रियाओं में सफलता एवं सिद्धि प्राप्त करने के, यही क्षण होते हैं- अभावों से मुक्ति प्राप्त करने के, यही क्षण होते हैं- सम्पन्नता और ஷ்ரேஷ்டா பிராப்த் கரனே கே—மற்றும் அத்விதீய வ்யக்தித்வ பிராப்த் கர் லெனே கே.
ग्रहण काल अज्ञानियों के लिये अशुभ और ज्ञानियों के लिये शुभ होता है, क्योंकि वे ऐसे स्वर्णिम क्षणों को हाथ से नहीं जाने देते, जब पूर्णता स्वयं प्राप्त होने के लिये साधक का द्वार खटखटा रही हो, ऐसे व्यक्ति उसका स्वागत कर पूर्ण हो जाते हैं, षण மந்திர ஜப த்வார அபனே ஜீவன் மற்றும் சபலதா ஏவன் சம்பந்தமான பிராப்த் கர ஸ்ரேஷ்ட் மானவ சக்.
ब आदि के आध स दृष से विशिष दिवस, विशिष क 25 अक 2022 को दोपह 04 बजक 29 मिनट प भूमण प सू ग क योग स 05 बजक 42 मिनट प ग क கிரஹண கா பூர்ணகால் 01 கணா 13 நிமிட தக ரஹேகா. हण स स के है तो उसके चह प ही ही ही ही ही ही हो हो हो सम हो हो हो हो हो ही हो हो प हो हो हो हो प प प प अलग विध विध की, यदि इस को सम क लिय ज से ोग ोग, चिन, ब कुछ होत ही ही है है दो दो प गोपनीय गोपनीय गोपनीय है खुद ही देख लीजिये ग में इस प को निम की पू
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நடைமுறை விதி
சாதனா சாமக்ரி- காளி யந்திரம், மனோகாமனா சைதன்ய மாலா, முண்ட் ஃபல்.
ப்ராத பிரஹ்ம முகூர்த்தத்தில் உத்தகர் ஸ்னான ஆதி நித்ய கிரியைகள் செய்யப்படுகின்றன. சாத் ஹி பீலே வஸ்த்ர தாரண் கர் பீலே ஆசன் பர் அபனே பூஜை ஸ்தானத்தில் பூர்வாபிமுக யபக். पश स लकड़ी क उसके ल दे तथ सभी स को को जगह अपने अपने समीप ख ख लें सू होने किसी लोटे में जल लेक कुंकुम औ मिल ले मंत को को ब पढ़क सू य दें
इसके पश्चात् अपने आसन पर बैठकर सामने एक प्लेट में काली यंत्र पर कलावा या मौली बांधकर उस पर कुंकुम या लाल चंदन से चार बिन्दी लगाये, जो कि धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्रतीक हैं, फिर यंत्र को प्लेट में स्थापित कर दें। அபி அக்ஷத், புஷ்ப, தூப், தீப் ததா நைவேத்ய ஆதி சே யந்திர கா பூஜை கரே. இயந்திரம் முன் ஃபல் கா குங்கும் சே திலக் கர் அக்ஷத், புஷ்ப சே பூஜன் கரேம்.
इसके द में अपनी की हेतु ले औ न व गोत क जल जल जल जल छोड़ फिर निम्न मंत्र का क्रहन काल में மனோகாமனா சைதன்ய மாலா சே ஜப் கரேம்-
जप जप पश प बिछे में क उसी य अगले दिन सुबह बहते जल नदी नदी य समुद में பூரே சாதனா கால் மென் தூப் மற்றும் தீப் ப்ரஜ்வலித் ரஹனா சாஹியே.
यह अपने आप में औ शीघ फलद है, इस ग में मनोक पू के के लिये स की है अवश ण होती होती होती होती है है
य हण
शुभे तिर्ते शुभे காலே புண்ணே வாஸர் ஏவ ச
லக்ஷ்யம் மந்த்ர ஜபனைவ ஹதாத் சித்திஶ்ச ஜாயதே.
ததேவ புண்யம் ச சித்தி சூரியே ச க்ரஹணே ஸ்திதே
பஞ்ச மாலா ஜபச்சைவ சித்திர்பவதி நிச்சிதம்.
अर्थात पवित्र तीर्थ में, शुभ लग्न में और शुभ दिन एक लाख मंत्र जप करने से जो पुण्य लाभ होता है, वह सूर्य ग्रहण काल में केवल पांच माला मंत्र जप करने से स्वतः प्राप्त हो जाता है— और साधना सफल हो जाती है।
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