பிரயঃ சபி கிரக மானவ ஜீவன் கோ அபனி சாமர்த்திய அனுசார் பிரபாவித் கரதே. कोई एक होने के प पू प है है अ व व के सम क क क
त ध ध हो हो है ण जगत विशेष विशेष नियमो नियमो से बंध है है के के जीवन जो जो प प प प व वस के स आक ग के से बनत है, उसके प से से भी बच
न यों इतनी अधिक हो गयी गयी, धोख, ोग धि, असफलत புத்தி தோ बढ़ती जा रही है, फिर भी समस्यायें सुलजने बजाय है. इन सबका मूल करण ग्रहों की उपेक्षा है.
औ इन सब को हेतु क भै एकम हैं हैं हैं हैं वह है है व कभी ज ज ज कह कि कि लोहे को ही ही जीवन के भय को अनुकूल हेतु हेतु प के के தீவ்ர் வாமமார்கி, யோகினி, சண்ட், க்ரோத், ரூரூ, காலத்தின் ஆதி தேவ கால் முக்தி.
भैरव शिव के अंश हैं और उनका स्वरूप चार भुजा, खड्ग, नरमुण्ड, खप्पर और त्रिशूल धारण किये हुये गले में शिव के समान मुण्ड माला, रूद्राक्ष माला, सर्पों की माला, शरीर पर भस्म, व्याघ्र चर्म धारण किये हुये, मस्तक पर सिन्दूर का िपुण ऐस है है है स जो भक स के संकट दू क ण आश सौभ क क क क क क क क क क
जीवन को जो अपनी इच्छा अनुसार जीने, अपने प्रराक्रम से शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने, अपने उत्साह से शत्रुओं पर वज्र की तरह प्रहार करने की चेतना को पूर्णता से आत्मसात करना चाहते हैं, उन्हें नव ग्रह दोष नाशक कालमुक्ति काल भैरव दीक्षा अवश्य ही ग्रहण करनी च, जिससे जिससे उन उन हो हो हो हो आप बलबूते अपनी श क सकें सकें ही शक के से जीवन स प स है है है उसके उसके की स उसके होती होती
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